Imam Ahmad Raza Aur Ishqe Rasool In Hindi
Books Language: Hindi |
Book Category: Other |
"इमाम अहमद रज़ा और इश्क़-ए-रसूल" एक अज़ीम इल्मी और रूहानी शाहकार है, जिस के मुसन्निफ़ शकील अहमद सुब्हानी साहब (माले गांव) हैं, और जिसे रज़ा अकैडमी, मुम्बई ने बड़े एहतमाम के साथ शायअ किया है। 81 सफ़्हात पर मुश्तमिल यह किताब आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा ख़ान बरेलवी रहमतुल्लाह अलैह की ज़िन्दगी के उस सब से दरख़्शाँ पहलू को बयान करती है, जो उनकी पूरी शख़्सियत का मरकज़ और मुहर्रिक था — यानी इश्क़-ए-रसूल ﷺ।
यह तस्नीफ़ महज़ एक किताब नहीं बल्कि ईमान और मोहब्बत के समुन्दर में ग़ोता ज़न एक रूहानी सफ़र है। इसमें वह नअ्तिया कलाम शामिल हैं जिन से इश्क़-ए-मुस्तफ़ा ﷺ की ख़ुश्बू और अदब व तअज़ीम का नूर फूटता है। आला हज़रत के बयानात और मवाइज़ क़ारी के दिल पर ऐसा असर डालते हैं कि वह ख़ुद को इश्क़ व अ़क़ीदत की दुनिया में महसूस करता है।
मुसन्निफ़ ने निहायत फ़नी महारत और ईमानी जज़्बे के साथ उन वाक़िआत को क़लमबंद किया है, जिन में इमाम अहमद रज़ा की इत्तेबा-ए-सुन्नत, पासदारी-ए-आदाब-ए-नबवी ﷺ, और इश्क़ व मोहब्बत के अमली मज़ाहिर झलकते हैं। चाहे वह इल्मी मुनाज़रे हों, फ़तावा की तस्नीफ़, या मस्लक-ए-अहले सुन्नत की ख़िदमत — हर जगह इमाम अहमद रज़ा के क़लम और ज़बान से इश्क़-ए-रसूल ﷺ की रोशनी फूटती नज़र आती है।
किताब का हर सफ़्हा एक पैग़ाम है कि इमाम अहमद रज़ा का मक़सद-ए-हयात सिर्फ़ यह था कि रसूलुल्लाह ﷺ की मोहब्बत दिलों में रासिख़ हो, दीन-ए-मुस्तफ़ा ﷺ की सरबुलन्दी हो, और शरीअत-ए-मुतह्हरा की हिफ़ाज़त व अशाअत हो। इस किताब को पढ़ने वाला सिर्फ़ इल्म नहीं सीखता, बल्कि ईमान की हलावत, दिल का सुकून, और इश्क़-ए-रसूल ﷺ की लज़्ज़त भी महसूस करता है।
यह किताब ख़ास तौर पर उन आशिक़ान-ए-रसूल ﷺ के लिए क़ीमती तौहफ़ा है जो अपने दिल में मोहब्बत-ए-मुस्तफ़ा ﷺ की शम्मा को मजीद रोशन करना चाहते हैं। कम सफ़्हात के बावजूद इसका असर देरपा और इसका पैग़ाम ज़िन्दगी भर दिल में रहने वाला है।
किताब का तारुफ़
मुसन्निफ़: शकील अहमद सुब्हानी
सफ़्हात: 81
पब्लिशर: सदाकत अकैडमी, बरेली शरीफ़ , रज़ा अकैडमी मुंबई
क़ीमत: 40 रुपये — बेश क़ीमत ख़ज़ाना
"इमाम अहमद रज़ा और इश्क़-ए-रसूल" बिलाशुब्ह हर कुतुब खाने की ज़ीनत और हर आशिक़-ए-रसूल ﷺ के दिल की आवाज़ है। इसे पढ़ना दरअसल मोहब्बत व अ़क़ीदत के उस दरिया में क़दम रखना है जिस का किनारा सिर्फ़ जन्नत में है।